समस्त उपदेशों का सार यही है कि मनुष्य सदैव भगवान् के दिव्य नाम, रूप, गुण एवं लीलाओं का सुष्ठुरूपेण कीर्तन तथा स्मरण करे जिससे उसकी जिह्वा एवं मन व्यस्त रहेंगे। इस प्रकार उसे ब्रज में निवास करते हुए भक्तों के मार्गदर्शन में कृष्ण की सेवा करनी चाहिए। उसे भगवान् के उन प्रिय भक्तों के पदचिह्नों का अनुगमन करना चाहिए जो भगवद्भक्ति में प्रगाढ़ता से आसक्त हैं ।
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