व्रजमंडल दर्शन न केवल वृंदावन के माध्यम से एक मार्गदर्शक है, बल्कि व्रज में रहने का एक साधन है। लोकनाथ महाराजा ने कृष्ण के अतीत को अपनी सरल लेकिन विवादास्पद शैली में सुनाया ताकि हम कृष्ण के साथ रहना सीख सकें और इस तरह भगवान के बाहरी सामर्थ्य से वंचित रह सकें। इस तरह, व्रज और इसके निवासियों के लिए हमारा निष्क्रिय लगाव धीरे-धीरे हमारे दिलों में जाग जाएगा।
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